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ताड़ कॉकटू-लोग: प्रकृति के पंखों वाले ढोलकिया

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ताड़ के कॉकटू-लोगों की टकराने वाली आवाजें यादृच्छिक नहीं बल्कि लयबद्ध होती हैं, जिसका अर्थ है कि वे मानव संगीत की तरह ही एक नियमित पैटर्न का पालन करते हैं। इतना ही नहीं, हर ढोलक की अपनी शैली और ताल भी थी।