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हमारे प्रिय गुरुवर को, पचास साल पहले, मेरा जन्म एक मछुआरे परिवार में हुआ था, जो कि पाकिस्तान के एक तटीय शहर से 8 घंटे की नाव की सवारी पर स्थित एक छोटे से द्वीप पर था, जो उबड़-खाबड़ समुद्र से घिरा था। पारिवारिक परंपरा का पालन करते हुए, मैंने पिछली पीढ़ियों की तरह ही मछली पकड़ना और काम करना शुरू किया।तेरह साल पहले, दिसंबर की एक ठंड की रात के दौरान, मैं अपने बिस्तर पर लेटे हुए वास्तव में चिंतित था, क्योंकि मेरे पास अपने बच्चों को खिलाने के लिए पैसे नहीं थे। मैं रोया और मैंने खुदा से दुवा की मेरी और मेरे परिवार की मदद करने के लिए। अगली सुबह, हमने पीले जैकेट पहने कुछ स्वयंसेवकों की एक टीम देखी, जो हमारे लिए भोजन, कंबल और बच्चों के लिए मिठाई लेकर आए। मुझे पूरा यकीन था कि यह मदद खुदा ने ही भेजी है, क्योंकि मैंने पिछली रात को बहुत दुआ की थी।मैंने उनसे पूछा कि यह भोजन किसने भेजा है, क्योंकि मेरे मन में यह था कि यह खुदा ने भेजी है। उन्होंने मुझे बहुत ही आध्यात्मिक ऊर्जा से भरी एक बहुत ही कृपालु महिला की तस्वीर दिखाई। उसी समय से मुझे यह अहसास होने लगा था कि इससे खुदा का कोई संबंध है। दो साल बाद वही टीम सर्दी के ऐसे ही सामान लेकर वापस आई। मैं अपने आप को रोक नहीं सका और टीम से उक्त महिला को अपना प्यार और शुक्रिया अदा व्यक्ति के लिए कहा। मुझे उनके द्वारा कहा गया था कि अगर मैं वास्तव में गुरुवर का शुक्रिया अदा करना चाहता हूं, तो मुझे ऐसा व्यक्ति बनना चाहिए जो पशु-जनों को न मारे और पशु-जनों का मांस न खाए, क्योंकि पशु-जनों को खाने से बाढ़ और सूखे की स्थिति अधिक होती है। हालाँकि यह मेरे लिए सच में मुश्किल था, मैंने आजमाने के लिए दो महीने तक इसे आज़माया। मैं स्वास्थ्य के लिहाज से बेहतर महसूस करने लगा, और पशु-जन के मांस और मछली-लोगों को खाना बंद करने के बाद एक बहुत ही सकारात्मक इंसान बन गया। मुझे आधिकारिक तौर पर तीन साल बाद दीक्षा मिली, और अधिक लोग प्रेरित हुए और हमारे समूह में शामिल होने लगे। हमने मछली पकड़ने के बजाय जीवित रहने के नए कौशल सीखे हैं। हालाँकि अभी भी एक संघर्ष था, हम खुश थे क्योंकि गुरुवर हमेशा हमारे साथ रहे हैं, आशीर्वाद और प्यार भेजते हुए।इस साल, पाकिस्तान में यहांके इतिहास की सबसे भयानक बाढ़ आई थी और लाखों लोग सर्दी के रातों में शरण के बिना तड़प रहे थे, जैसे कि हम 13 साल पहले तड़प रहे थे। हम जाकर उनकी मदद करना चाहते थे और उन्हें बताना चाहते थे कि कैसे गुरुवर से हमने जो सीखा है, उससे हमारा जीवन बदल गया है और अगर वे भी वीगन बनेंगे और ध्यान करेंगे, तो वे भी दुनिया को रहने के लिए एक बेहतर जगह बनाने में मदद कर सकते हैं।दीक्षा के 10 वर्षों के बाद, मुझे यह कहते हुए गर्व हो रहा है कि हमारे परिवार में बच्चे अपनी कहानी बताने में गर्व महसूस करेंगे, कि वे एक वीगन परिवार में पैदा हुए हैं, जो सभी गुरुवर के शिष्य हैं। हम गुरुवर का शुक्रिया अदा करते हैं। अभी, हमारे मछुआरे गांव में 80 लोग हैं जो वीगन बन गए हैं, हमारे संतों की मदद के कारण और 12 क्वान यिन संतों के विश्व वीगन, विश्व शांति के लिए एक साथ ध्यान करने और गुरुवर के आशीर्वाद लाने के कारण, यहां तक कि कठिन समय के दौरान भी क्योंकि समुद्र ऊँचा और ऊँचा होता जा रहा है। मेरी इच्छा है कि अधिक लोग हमारे वीगन परिवार का हिस्सा बन सकें और अपने और दूसरों के लिए सकारात्मक जीवन जीना सीख सकें। गुरुवर का शुक्रिया अदा करने के लिए हमारे पास पर्याप्त शब्द नहीं हैं आपके बिना शर्त समर्थन के लिए। शुक्रिया, गुरुवर, हमें बेहतर इंसान बनाने के लिए। पाकिस्तान से फजलीसमझदार फ़ज़ली, आपका शुक्रिया अपनी अद्भुत कहानी सांझा करने के लिए कि कैसे हमारे प्रिय गुरुवर की कृपा से आपने अपना जीवन बदला।गुरुवर के पास आपके लिए एक प्यार भरा संदेश है: "समर्पित फाजली, मैं प्रभावित हुई हूं आपकी कहानी से और कैसे अल्लाह ने आपकी दुआओं का जवाब दिया। कई बार कठिनाइयाँ हमें पूरे दिल से खुदा की ओर मुड़ने के लिइ मजबूर करती हैं और यही वह समय है जब अक्सर चमत्कारी चीजें होती हैं। मुझे बहुत खुशी है कि इस अनुभव से आपने अपना पूरा जीवन बदल दिया और वीगन बन गए और दीक्षा ले ली। आप एक प्रेरणा हैं और आपने अपने पूरे समुदाय को सकारात्मक रूप से बदल दिया है। कृपया अच्छी तरह से साधना करना जारी रखें और वीगन संदेश को यथासंभव सभी के साथ साझा करें ताकि सभी आपदाएँ समाप्त हो जाएँ जब विश्व वीगन, विश्व शांति आखिरकार प्रकट होगी। आप और पाकिस्तान के उदार लोग हमेशा अल्लाह की सुरक्षा कवच में रहें। कृपया गांव में अपने सभी भाइयों और बहनों तक मेरा प्यार पहुंचाएं, ईश्वर की सदाबहार कृपा के साथ।”