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ध्यान का विज्ञान: स्वामी रामा, हिमालय के गुरु

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बहुआयामी हीरे की भांति, स्वामी रामा अनेकों प्रतिभाओं के धनी थे। वह एक असाधरण आध्यात्मिक गुरु थे, एक मैडीकल डॉक्टर, जाने माने वैज्ञानिक, सफल लेखक, उपहारित गायक, कलाकार और मानवतावादी थे। यहां तक कि अपनी संकल्पना से पूर्व उनकी विशाल और मांगलिक नियति को हिमालय में संतों के मध्य माना जाता था।

उन्होंने लोगॊं से साधारण किंतु संत जीवन जीने हेतु प्रोत्साहित किया, और ध्यान के महत्व पर जोर दिया, यह कहते हुए, “साधना आपको मस्तिष्क की शांति प्रदान करेगी। साधना से आप अपने अदंर की वास्तविकता को गहनता से जान पाएंगे। साधना आपको निर्भय बनाएगी; साधना आपको शांत बनाएगी; साधना आपको विनम्र बनाएगी; साधना आपको प्रेमी बनाएगी; साधना आपको भय से मुक्त कर देगी। साधना के ये परिणाम होते हैं।“

वास्तव में, गुरु की शिक्षाओं का मौलिक तत्व था शर्त रहित प्रेम। उन्होंने कहा, “प्रेम हेतु सीखो, जो विस्तारण का नियम है देने के लिए सीखना महान कलाओं में से एक है। उनको घर पर नि:स्वार्थ होकर दो, उनके लिए जिनके साथ आप रहते हैं। ऎसा करना आरंभ करो। प्रेम आपको पूरी तरह बदल देगा, केवल प्रेम में ही ऎसी शक्ति है ..”

स्वामी रामा आजीवन शाकाहारी थे। उनकी पुस्तक “संपूर्ण स्वास्थ्य हेतु व्यावहारिक गाईड,” में उन्होंने सिफारिश की कि जो आध्यात्मिक अभ्यास करना चाहते हैं वनस्पति आधारित जीवनशैली अपनाएं। उन्होंने कहा शाकाहारी भोजन ही स्वास्थ्य के लिए बेहतर है, मांसाहार खाने के उच्च रक्त चाप हो जाता है, कब्ज, कैंसर और दिल की समस्याएं हो जाती हैं। उन्होंने कहा कि शाकाहाई जीवनशैली के लाभ विशेष रुप से किसी की आयु के ध्यान देने योग्य होते थे, और ऎसे वृद्ध शाकाहारी लोगों के मस्तिष्क अधिक शुद्ध होते हैं, उनकी जीवनशक्ति बेहतर और जीवन मांसाहारियो से अधिक लंबा होता है।

अपने पूरे जीवन में उन्होंने आध्यात्मिकता, योगा और संपूर्ण स्वास्थ्य के बारे में दर्जनों पुस्तकें लिखीं। शायद उनकी सर्वश्रेष्ठ रचना है “हिमालयन गुरूओं के साथ रहना,” उनकी यात्राओं का लेखाजोखा एक आत्मकथा पवित्र पर्वतों से होकर, और जो पाठ उन्होंने चित्ताकर्षक पवित्र संतों से सीखे थे जब वह उनसे मिले थे पूरे जीवन में।

१९९४ में, उन्होंने अपना सबसे सुंदर अलंकरण पूरा किया: हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ होस्पीटल ट्रस्त की स्थापना, जिसमें एक अस्पताल और ग्रामीण विकास कार्यक्रम शामिल थे जो क्षेत्र में १००० से अधिक दूरस्थ गावों की सहायता होती है।