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आत्मा मन और शरीर का उपयोग करना चाहती है चारों ओर की चीजों का परिक्षण करने के लिए। लेकिन अगर मन और शरीर बहुत सहयोगी भाव में नहीं है, या बहुत उच्च तल पर नहीं हैं, तब आत्मा बस वह सूचनाओं पर भरोसा करती है, और साथ में बँधी रहती है। और इसी तरह आप मुक्ती नहीं पाते। यह बस मन है जो परेशानी है। इसलिए, जब आप अच्छी तरह, गहरा ध्यान करते हैं, आप मन से कुछ क्षण के लिए उडकर दूर चले जाते हैं। इसलिए आप गहरी खुशी का अनुभव करते हैं, जिसका आप वर्णन नहीं कर सकते, वैसे भी। जिस क्षण आप अचानक समाधि में उच्च मे जाते हैं, वह बस कुछ असाधारण ही है। अगर यह आप किसी भी समय करते हैं, किसी भी दिन, तब आत्मा को फिर से मुक्ति की बहुत आदत बन जाएगी। जैसे जब वह सोता है। जब हम सोते हैं, क्योंकि आत्मा थकी होती है, वह बाहर निकलना चाहती है। और उस समय वह स्वतंत्र होती है। पर दिन में, उसे मन का अनुसरण करना पडता हैं, देखने के लिए कि क्या हो रहा है, या मन को निर्देशित करने का प्रयास करना पडता है। लेकिन मन गलत जानकारी देता रहता है। इसलिए अगर आप ध्यान करते हैं, तो आपको आता है मन से बाहर कैसे निकलना, और आपको इसकी आवश्यकता नहीं होती। और आत्मा इसे देखेगी, आत्मा स्वयं अपने द्वारा, फिर वह मन को क्या करना चाहिए इसके लिए अच्छी तरह से निर्देंशित कर सकती है, गलत जानकारी पर निर्भर होने की बजाय या सही जानकारी भी मन के द्वारा दी जाती है। आत्मा बहुत सौम्य होती है, बहुत सुन्दर। आत्मा नहीं जानती है जटिलता, दुनिया की गंदगी को। लेकिन इसलिए मन अच्छा है। मन जानकारी देता रहता है, आत्मा इस पर विश्वास करती है। इसलिए यह बेहतर है कि आत्मा मन से बाहर आये, और निर्देश करे, मन का अनुसरण करने की बजाय। तो आप लोग इस पर ध्यान दें। शरीर को भोजन चाहिए। आत्मा को बढावा देने के लिए ध्यान की शक्ति चाहिए, उच्च जाने के लिए! वास्तव में, कृपया, भले ही आप नीरस वातावरण में हैं, आप फिर भी अपने मन को एकाग्र रख सकते हैं! फिर भी आप कर सकते हैं। यदि आप केवल वही चाहते हैं, तो कुछ भी आपको बिचलित नहीं कर सकता। शायद थोडा बहुत, लेकिन लंबे समय तक नहीं। आपको उस तल तक पहुँचना पडेगा, ताकि कुछ भी आपको फिर विचलित न कर सके, यदि ऐसा होता भी है, तो यह आपके कपडों पर लगी धूल की तरह है, आप इसे झाडें, यह चला जाता है। और उस गीली मिट्टी की तरह नहीं जो आपके शरीर या त्वचा पर केक की तरह चिपक जाती है। वो अलग चीज है। तो कृपया, अगर आपके पास कुछ बहुत तेज किसम के सवाल हैं, और ऐसे तर्कपूर्ण प्रकार के या उत्तेजक या चुनौतीपूर्ण सवाल हैं, तो कृपया पहले खुद से पूछें: “यह सवाल, क्या वास्तव में मेरी मदद करेगा? क्या मैं वास्तव में सही सवाल पूछ रही हूँ? या मैं यूँ ही, ब्ला, ब्ला, ब्ला, बस ध्यान आकर्षित करने के लिए बोल रही हूँ, या मैं अपना सामाजिक व्यवहार दिखाने के लिए, यहाँ तक कि गुरु को भी दिखाना चाहती हूँ?” क्योंकि आप ऐसे सामाजिक और गंदे वातावरण में रहते हैं, और आप यहाँ आते हैं, आपने खुद को साफ नहीं किया होता है, आप लोगों पर या गुरु पर भी गंदगी फेंकते हैं। क्योंकि आप ऐसा करने के लिए अभ्यस्त हैं, या आप अंदर से किसी बात को लेकर गुस्सा हैं, और फिर आप इसे बाहर फेंकते हैं। यह निरर्थक है भले ही मैं इसका जवाब देती हूँ, और आप इसे समझ भी जाते हैं। ये सब अभी भी बौद्धिक तल पर होता है। यह वास्तविक चीज नहीं है। इसलिए यहाँ भी मैं, वास्तव में, आपसे बातें करने नहीं आई हूँ, न ही आपके सवालों का उत्तर देने, और आपको सोच में डालने के लिए भी नहीं कि मैं ब्रहाण्ड की हर चीज को वास्तव में जान गई हूँ, या वास्तव में मेरे पास महान् वाग्मिता शक्ति है। यह वह नहीं है। मेरी उपस्थिति ही आपके लिए उपहार है। जो भी मैं कहती हूँ, बस आपको मुझमें ध्यान केंद्रित करने के लिए है। या अपने मन को थोडा आराम देने के लिए है। बस मेरी उपस्थिति, यही सबसे अच्छा व्याख्यान है जो मैं आपको दे सकती हूँ।