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सार बचन राधास्वामी कविता, से कुछ अंश, खंड १,' स्वामीजी महाराज (शाकाहारी) द्वारा, दो भाग का भाग १

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“मैं बार-बार सतगुरु के सामने और लोटस क्षेत्र और सतनाम (सच्चा नाम) के सामने नमन करता हूँ। वह सभी का आरम्भ हैं... वह अनम (सर्वोच्च देवता) हैं अति प्राचीन काल से। वह यहां आये हैं उनके गरिमापूर्ण निवास से संत अवतार के रूप में।"