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इस जीवन को सत्यतापूर्वक और उचित रूप से जिएँ : मार्कस ऑरेलियस के 'ध्यान' से चयन, 2 भाग का भाग 1

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"यदि आपने वर्तमान देखा है फिर आपने सब कुछ देखा है - जैसा कि शुरू से रहा है, वैसा ही यह हमेशा रहेगा। वही पदार्थ, एक ही रूप। यह सब।"