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"अब हम सदियों के कर्मों के परिसमापन के एक संक्रमणकालीन, त्वरित समय में रह रहे हैं। जिस कर्म का हम धीरे-धीरे भुगतान कर रहे हैं, वह अब एक जीवनकाल में हो गया है। यही कारण है कि पूरे ग्रह पर पीड़ा इतनी तीव्र है।” ~ लिली डिमकोवा (शाकाहारी)