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भीतर का परमात्मा: परमहंस योगानंद(शाकाहारी) द्वारा 'योगी की आत्मकथा' से चयन, 2 का भाग 2

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“भगवान ने प्रत्येक मनुष्य को एक आत्मा के रूप में बनाया, व्यक्तित्व से संपन्न […]। उसकी स्वतंत्रता अंतिम और तत्काल है, यदि वह चाहे तो; यह बाहरी नहीं बल्कि आंतरिक जीत पर निर्भर करता है।”