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अनुग्रह, सत्य और धार्मिकता - 'पिस्टिस सोफिया' से चयन, 2 का भाग 2

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“तब ऐसा हुआ, जब प्रकाश-धारा ने पिस्टिस सोफिया में अपनी सारी प्रकाश-शक्तियाँ एकत्र कर लीं […] वह सर्वत्र चमकने लगी; और पिस्टिस सोफिया में भी प्रकाश-शक्तियाँ [...] फिर से आनंदित हो गईं और खुद को प्रकाश से भर लिया।”
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