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उस समय, बुद्ध उपदेश दे रहे थे पांच नियमों के लाभ के बारे में पूरी असेंबली के लिए। संभवत: वह दीक्षा दे रहे थे, और तब ऎसा करते हुए। अत:, उन्होंने कहा पांच नियमों के बारे में, और उनको होने वाले लाभ के बारे में, “नंबर एक: वध मत करो, अन्य लोगों को हानि मत पहुंचाऒ याअ अन्य प्राणियों को हानि मत पहुंचाओ। यह आप ऎसा करते हैं, तब आपको दीर्घ जीवन का लाभ प्राप्त होगा, और स्वस्थ जीवन। और नंबर दो: चोरी मत करो, वह चीज मत लो जो तुमको न दी गई हो। यदि आप इस नियम का पालन करते हैं, तो आपको मेरिट प्राप्त होगी समृद्ध और आदर्श जीवन जीने की। और फिर कोई भी, आपकी चीजें नहीं चुराएगा। नंबर तीन: अनुचित सैक्स न करें। यदि आप इसका पालन करते हैं, तब स्वर्ग और धरती आपका बहुत सम्मान करेंगे, और आपका शरीर सुंदर हो जाएगा। आप सुंदर जन्म लेंगे। वास्तव में, अभी, यदि आप पहले से सुंदर नहीं है, तो इस नियम का पालन करें, अगले जीवन में, यदि आप पांच नियमों का पालन करें, अगले जीवन में आप फिर मनुष्य के रुप में जन्म लेंगे, इस सब के साथ। किंतु नरक में जन्म नहीं लेंगे या वेचारे पशुओं के रुप में, या किसी प्रकार की पीड़ा में। पांच नियमों का पालन करके आप स्वर्ग में जाएंगे। आप केवल पांच नियमों का पालन नहीं किया, तब आप स्वर्ग में नहीं जाएंगे, या निम्न स्वर्ग में, किंतु कम से कम आप एक मनुष्य का जन्म लेंगे, स्वस्थ, समृद्ध और कोई समस्या नहीं। स्वस्थ, और शक्तिशाली, स्थिति, जो भी हो। और नंबर चार: झूठ मत बोलो, बल्कि सच बोलो। यदि आप इसका पालन करें, तो आपको अति सम्मान के साथ मेरिट प्राप्त होगी ग्रह पर किसी से भी, हर किसी से जो आपको मिलता है, और आप जो भी कहते हैं, लोग आप पर विश्वास करेंगे। नंबर पांच: नशीले पदार्थों का सेवन न करें जैसे एल्कोहन और ड्रग्स और ऎसे पदार्थ। यदि आप इस नियम का पालन करें, आप योग्य मेरिट प्राप्त करेंगे।“ अत: हर कारण का परिणाम है। अत: वह पांच नियमों के बारे में उपदेश दे रहे थे, आपको इनका पालन क्यॊं करना है। संभवत: दीक्षा, पांच नियमॊं का पालन करना होगा। और बुद्ध सदैव पांच प्रकार के दानॊं की प्रशंसा किया करते थे, जो देने वाले को प्रचुर, बहुतायत से मेरिट देती है, जीवन दर जीवन, न कि एक जीवन। पांच क्या हैं? नंबर एक, पहला है, यदि आप किसी को दान करते हैं जो बहुत दूर से आया हो। जो व्यक्ति दूर से आया है, अर्थात वास्तव में जरूरतमंद है। यदि उसके पास धन है भी, वह यह नहीं जानता कि भोजन कहां से खरीदना है। वह नहीं जानता कि खाने के लिए रेस्टोरेंट कहां पर है। वह नहीं जानता पानी कहां मिलेगा,आदि। अत: यदि आप इन लोगों को दान देते हैं या दूर से आए ऎसे लोगों को कुछ आवश्यक चीज देते हैं, आपके गांव में अजनबी, यह हैं नंबर एक। अच्छे मेरिट, पचुर मेरिट। यह सर्वोच्च है, पांचों में से। और फिर नंबर दो, यदि आप ऎसे लोगों को दान देते हैं जो दूर जा रहे हैं, दूर जात हुए को, जैसे लंच बाक्स बनाना या राह के लिए सूखा भोजन। क्योंकि यदि व्यक्ति दूर जा रहा है, वह उतना ही मूल्यवान है जितना दूर से आने वाला। और वह नहीं जानेगा कि राह में कहां ठहरना है। यदि आप उसे कंबल, कोई सूखा भोजन, राह के लिए कुछ भी देते हैं, तब यह बहुत मेरिट देने वाला है। वास्तव में। यह आवश्यक है। न केवल गरीबों के लिए, बल्कि जिसे भी जरूरत हो, हां। अत:, नंबर तीन, यदि आप बीमार लोगों को दान करें, बीमार लोगॊं की सहायता करना। क्योकि बीमार लोग, हो सकता है वे असहाय होते हैं। नंबर चार, वास्तव में आप भोजन भूखे को दें। और यदि अभी भूखा है और उसे भोजन देते हैं, यह अच्छाआ है, यह उत्कृष्ट है। और नंबर पांच सर्वश्रेष्ठ है, लोगों को सच्चाई की शिक्षा देना जो इसे चाहते हैं। वासतव में, किसी को भी नहीं, बल्कि उसे जो ऎसा चाहता है। अत:, उन्होंने कहा, “ये पांच दान के तरीके, यदि आप जानते हैं और आप इसे तुरंत करे जब भी जरूरत हो, फिर अभी, इस जीवन में, आपको मेरिट प्राप्त होगी। सच में, आपको अगले जीवन की प्रतीक्षा करने की जरूरत नहीं है मेरिट को देखने के लिए जो आपको मिलती है।“ यहां तक कि इस जीवन में। मैं आपके बारे में नहीं जानती, किंतु मेरे पास बहुत सी मेरिट है, अब बुद्ध ने कहा कि। मैं मेरिट के लिए ऎसा करना नहीं चाहता। ऎसा करने से बदले में बहुत कुछ मिलता है। मैं इसलिए करता हूं कि ऎसा करना उचित है, न कि मेरिट के कारण।