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प्रतिलिपि
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स्वयं को उन्नत करोएक अति श्रेष्ठ, निज-परित्यागी जीव के रूप में-2 का भाग 1

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स्वयं को प्रशिक्षण देना होना सभी प्रकार के विभिन्न हालातों में अच्छा है। हिमालय में, मुझे भी समस्याएं थी उस तरह और वह कर्इ साल। मेरे पास केवल जूतों की एक जोड़ी थी। जब वह गीला होता है ठंड़ी जलवायु में, यह सूजा होता है, पैर होते हैं सूजे हुए और...ठंडे। बर्फ ठंडी है। यहाँ तक कि अस्थायी रूप से, कभी कभी प्रशिक्षण अच्छा है। ताकि शरीर और मन हो सके आदी विभिन्न परिस्थितियों का, और फिर हम समायोजित कर सकें और अपना संतुलन बना सकें हर समय। और फिर जब हमारे पास हो एक आरामदायक स्थिति, बेहतर आरामदायक स्थिति, फिर हम उसकी सराहना करें और हम इसका अधिक आनंद लेते हैं।

और यदि हमारे पास नहीं होता, तब सोचो लाखों लोगो के बारे में जिनके पास घर नहीं होता, नहीं होती जरा सी फूस की छत भी सिर पर। आप यह टी वी पर देख सकते हो। वे बस रखते हैं कुछ शाखाएं, एक साथ छोटी शाखाएं। कभी थोड़ा भी नही होता। कभी कभी अफ्रीका में यह खोजना मुश्किल है कोर्इ सूखी लकड़ी इसे रखने के लिए एक तम्बू के एक आकार में। और उनके पास नहीं होता इसे ढकने के लिए कुछ भी इस तरह के एक गर्म आबोहवा में। शरणार्थी लोग, उन्हें सब कुछ छोड़ना पड़ता है। क्योंकि कुछ लोग, उनके जीवन बस निर्भर करते हैं एक गांव और पशु, और खेती। और यदि युद्ध छिड़ता है या कोर्इ आपदा उन पर आती है, फिर उन्हें यूं ही पड़ता है छोड़ना सब कुछ और वे नहीं ले सकते... जो भी होता है उनके पास ? उनके पास केवल उनके हाथ होते हैं खेती के लिए। और यदि वे अपनी ज़मीन छोड़ दें, उनके पास ज्यादा कुछ नहीं होता है। और उनके पशु और वह सब, वह उनकी आजीविका है। और जब ये कर दिए जाते हैं तबाह या पीछे छोड़ दिए जाते हैं, उनके पास कुछ नहीं होता है। तो, मैंनें दूरदर्शन पर देखा, कर्इ बस थोड़ा प्लास्टिक डालते हैं, जो भी हो थोड़ा फटा हुआ प्लास्टिक शीट उपर से, यहाँतक कि नहीं ढकता पूरी टहनी संरचना को जो वे लगाते हैं।

और वहाँ है कर्इ अन्य कठनार्इयां। अगर आप टी वी देखते हैं, आप पहले से ही जानते हैं। मुझे आपको बताने की ज़रूरत नहीं है। यह हमारा दिल तोड़ देता है। लेकिन जितना समय हमारे पास है इस तरह की जीवन शैली, आप जानते हैं, बनाता है अपना जीवन और हर जगह बन जाता है एक कसार्इखाना मनुष्यों या जानवरों के लिए, तो बुरे कर्म (प्रतिफल) से हम बच नहीं सकते। एक या अन्य तरह से, एक जीवन या दूसरा, यह हमारे पास वापस आ जाएगा। कठिनार्इ, आपत्ति, दर्द, हमें सहना होगा साफ करने के लिए जो भी बुरे कर्म हमने पिछले जन्म में किए हैं।

मैं कभी शिकायत नहीं करती यदि मैं किसी भी स्थिति में रहती हूं। मैंने पहले से ही खुद को बनाया है “परिस्थिति” में । तो कुछ भी नहीं है जो मुझे अब और डराता है। जब हम इस दुनिया में रहते हैं, हमें स्वीकार करना होगा कर्इ स्थितियाँ। हम हमेशा नहीं कर सकते हैं यह चाहना, वह चाहना और दूसरों को चाहना । हमें खुद को प्रशिक्षित करना चाहिए। मन को प्रशिक्षित करो स्थिति को स्वीकार करने के लिए। और जहाँ भी आप जाते हो, बेशक आप कोशिश करो स्थिति बनाने के लिए यथासंभव आरामदायक, अपने स्वयं के साधन में, और अगर स्थिति अनुमति देती है। आप वहाँ नहीं बैठो किसी और के इंतज़ार में अपनी देखभाल करने के लिए। मैं बात भी कर रही हूं सबके बारे में, न कि सिर्फ यहाँ वाले समूह के बारे में।

सामान्यता बोलते हुए। यदि आप एक स्थिति में आते हैं जो ठंडी है, आप अधिक कपड़े पहन लो। (जी।) यदि गर्मी हो, आप कम पहनो, कुछ नहीं पहनो ! नहीं, पुरूष कर सकते है। पुरूष उपर बिना कपड़े के हो सकते हैं, लेकिन महिलाएं मेरी सलाह है नहीं करो। कोर्इ कुछ नहीं कहता, लेकिन पुलिस आ सकती है किसी समय और मैं जिम्मेदार नहीं हूं इस तरह की स्थिति के लिए। मुझसे प्रार्थना मत करो इस स्थिति में। ठीक है? हम चीज़ों के लिए प्रार्थना कर सकते हैं जो न्यायसंगत हों और जो वास्तव में आवश्यक हैं। लेकिन हमेशा प्रार्थना नहीं हर छोटी बात के लिए। “गुरू जी, मेरे लिए यह करो, मेरे लिए वह करो।” यह वास्तव में भयानक है। परिस्थिति उत्पन्न होती है ताकि आप मजबूत बन सको आध्यात्मिक और मानसिक रूप से, भावनात्मक, मनौवैज्ञानिक, मनौज्ञानिक रूप से।

तो आप हमेशा नहीं करो दूर भागना मुसीबत से अगर यह बहुत खतरनाक नहीं है। अगर यह खतरनाक है, बेशक मैं आपको सलाह देती हूं दूर भागने की, मत रहो वहाँ और करो इंतज़ार। “गुरू जी आएंगे और मुझे ले जाएंगे।” यदि यह खतरनाक है, मैं खुद दूर भाग जाती हूं। आपका कर्तव्य है स्वयं को बचाने की। आपका कर्तव्य है इस मंदिर की रक्षा के लिए, जो आप इस्तेमाल करते हैं अभ्यास के लिए जब तक हम पूरे नही करते अपने कर्म (प्रतिफल) इस ग्रह पर। यही कर्तव्य है आपको ख्याल रखना होगा तो आप सुनिश्चित रहें आपके शरीर ने गर्म कपडे़ पहने है, या आरामदायक कपड़े पहने।

और घर पर, यदि आप बुजुर्ग हैं, कृपया एक आरामदायक बिस्तर पर सोएं। जमीन पर मत रहें जैसे यहाँ बैठे, और फिर पीठ दर्द और वह सब। “ओह, गुरू जी, मुझे दर्द हो रहा है !” क्या मुझे करना होगा ? आना और आप की मालिश ? यदि आपको मुसीबत है, चिकित्सक के पास जाओ। यदि कुछ देर बाद, यह दूर नहीं जाती, इसका मतलब शायद यह गंभीर है। जाओ चिकित्सकों को मिलो। और यदि चिकित्सक, बहुत सारे आपको ठीक नहीं करते, इसका मतलब आपको इसे सहना होगा ताकि आप साफ कर सकें अपने बुरे कर्म ( प्रतिफल )। मैं भी ऐसा करती हूं। मैं डॉक्टर के पास जाती हूं, और यदि चिकित्सक अच्छी तरह से काम नहीं करता, तो ठीक है, मैं इसे स्वीकार करती हूं। और फिर समय के साथ, इसे भी दूर जाना होगा। लेकिन प्रार्थना मत करते रहो हर चीज़ के लिए। हे भगवान। हर छोटा मुहाँसा आपके चेहरे पर। शायद यह सुंदर है वहाँ पर, तुलना में अधिक आकर्षक आपका चेहरा पहले-बहुत सादा।

और प्रार्थना मत करो हर छोटी बात के लिए। जैसे आपकी बेटी भाग गर्इ और आपके बेटे की आपके साथ नहीं बनती। मैं उन्हें मजबूर नहीं कर सकती आपके साथ रहने के लिए जब कर्म (प्रतिफल ) आपके साथ पूरे हो गए। मैंनें आपको बताया था, इस ध्यान शिविर में , मुझसे मत पूछो कोर्इ सांसारिक प्रश्न के बारे में। (जी हां।) आपकी बीमारी ठीक करना, आपका मुहाँसा ठीक करना, जो भी। ऐसा मत करो। लेकिन मेरा मतलब अन्दर भी। मेरा मतलब नहीं बाहर बात मत करो और फिर अंदर प्रार्थना करते रहो ये उटपटांग चीज़े।

हर चीज़ क्षणभंगुर है, आप वह जानते हैं। यदि आपकी बेटी भाग जाती है, तो यह अच्छा है। आपके पास अधिक समय है अभ्यास के लिए। वह बड़ी हो चुकी है। आप उसे रोक नहीं सकते। उसे नियंत्रित नहीं कर सकते हमेशा। हमारे परिवार नहीं है हमारे कैदी। हमनें पूरी कोशिश की करने की उन्हें शिक्षित, सुनिश्चित किया कि वे सुरक्षित है और सबकुछ है जिसकी उन्हें ज़रूरत है। लेकिन यदि वे फैसला करते हैं उन्हें यह नहीं चाहिए, फिर यह भी ठीक है। या यदि आप चाहते हैं, आप पुलिस को बता सकते हैं और उनके लिए देखें।

हमेशा प्रार्थना मत करो गुरू जी से चीजें करने के लिए। हम हर चीज़ के लिए प्रार्थना करते हैं, हमें यह मिलता है। लेकिन आपको दो बार सोचना होगा प्रार्थना करने से पहले। आपको जो चाहिए उसके बारे में सोचो। जब आप आए थे मुझ से दीक्षा लेने के लिए, क्या मैंने आपसे वायदा किया था कि मैं आपकी बीमारी ठीक कर दूंगी। हाँ या ना ? (नहीं।) क्या मैंने आपसे वायदा किया था आपका पति करेगा आपसे प्यार हमेशा के लिए ? हाँ या ना ? (नहीं।) क्या मैंनें आपसे वायदा किया था आपकी पत्नी आपको तलाक नहीं देगी? हाँ या ना ? (नहीं।) क्या मैंने आपसे वायदा किया था आपके बच्चे रहेगें आपके साथ हमेशा के लिए, बहादुर और ब​ढ़िया और दयालु और संतानोचित? क्या मैंने? (नहीं।) क्या वायदा किया मैंने आपसे? (मुक्ति।) मुक्ति और घर जाओ। हां, यह बात है। मैंने आपसे वायदा किया था खुद को जानने के लिए, अपनी आत्मा को जानने के लिए, भगवान को जानने के लिए। मैंने बस यही वायदा किया था। और क्या आपको यह मिला, चरण दर चरण? (हांजी।) हां। तो मैं अपना वायदा रखती हूं।

आप अपना गृहकार्य करो। आपका परिवार- मेरा सरोकार नहीं। कोर्इ मुसीबत आपके भौतिक जीवन की- मेरा सरोकार नहीं। मैं केवल आपको ले जाना चाहती हूं वहाँ जहाँ कोर्इ परेशानी नहीं है। जब तक आप यहाँ हैं, वहाँ परेशानी होगी। मैंने आपसे कभी वायदा नहीं किया कि दीक्षा के बाद इस जीवन में, आपको होगी नहीं कोर्इ मुसीबत, सारी शांति और प्यार और शांति-नहीं। क्या मैने ऐसा किया था, क्या मैंने आपको वह कहा था? (जी नहीं।) नहीं !

आप कैसे नहीं बंधेंगे जब आप जेल में हो ? यदि मैं एक वकील हूं और मैं आपका बचाव करती हूं और आप है मूल रूप से बेकसूर, और मैं आपसे वायदा करती हूं, “ठीक, मैं यह मामला लेती हूं और फिर आप बाहर जाओगे।” पर अभी मैं कर रही कागज़ी कार्यवाही और नौकरशाही के साथ लेनदेन और कानून, आप जेल में रहते हो। हाँ? जब तक यह होता है। जेल में, आप मुझसे पूछ नहीं सकते, “कहाँ है मेरी मर्सिडीज़ ? कहाँ है मेरा अंगरक्षक ? कहाँ है मेरा बिस्तर में नाश्ता ?” आप ये बातें पूछ नहीं सकते। मैंने वायदा किया था कि आप बाहर जाएंगे। और फिर आप इंतज़ार करो। ठीक ? (जी।)

तो इस दुनिया में, आपको स्वीकार करना होगा जो भी परिस्थिति हो। और यदि आप इसे बेहतर चाहते हैं, तेज, आप अधिक ध्यान करो। आप अपना गृहकार्य करो। आप हमेशा निर्भर न रहो इस छोटी बूढ़ी औरत पर आपके लिए रोज के काम के लिए भागदौड़ करने के लिए। अगर मैं इसे करती हूं, मैं कर सकूं तो, आप कुछ भी नहीं बनोगे। स्थिति स्वीकार करो जेल में। यदि जेल वार्ड आपको बताता है, “जाओ आज पकाओ,” आप आज जाकर पकाओ। यदि वह आपको कहता है, “कपड़े धोने का ध्यान रखना सभी कैदियों के लिए, “ आप जाकर कपड़े धोने में ध्यान रखो कैदियों के लिए। आप अपने वकील को नहीं बुलाते और कहते, “देखो, मैं आज़ाद हूं, मैं निर्दोष हूं, मैं सब कुछ हूं, मैं... आप काम कर रहे हैं मेरी तरफ से, क्यों मैं अभी भी कर रहा हूं कपड़े धोना यहाँ, फर्श साफ करना?” जब तक आप जेल में होते हो, आप करो क्या जेल वार्ड आपको बताता हैं। अन्यथा, आपकी मुक्ति में विलंब होगा। क्योंकि वे कहेगें अनादर करते हैं कानून का। या भले ही आप लड़ते जेल वार्ड के साथ, आप वही रहेगें। वकील नहीं होगा कुछ भी करने में सक्षम यदि आप मुसीबत खड़ी करते हो वहाँ पुलिस के साथ। या आप पीट देते हो जेल वार्ड को। तो यह बात है, आपका हो गया।

हम यहाँहै। हम वह सब करते हैं जो यहाँ आवश्यक है। अगर आपको काम करना है, आप काम करो। यदि आपको करना है अपने बच्चों का ख्याल रखना, अपने बच्चों का ख्याल रखो। उनमें से कोर्इ भाग जाता है, आप पुलिस को बताओ उन्हें देखने के लिए। और यदि वे नहीं कर सकते, वे नहीं कर सकते। कोर्इ भी समस्या न लादें मुझ पर। ठीक है ? मान लीजिए अगर मैं सब कुछ कर दूं आपके लिए, आप क्या हो? एक प्रेत ? एक असक्षम प्राणी, सोच नहीं सकता, प्रतिक्रिया नहीं कर सकता, अपने बौद्धिक स्तर का उपयोग नहीं कर सकते ? आप क्या करेंगे ? सब कुछ, आप गुरू जी को बुलाते हैं। तो आप क्या करेंगे ? आप किस लिए ​ज़िंदा रहते हैं? बस खाने और सोने के लिए ?

हर स्थिति को लो जैसे र्इश्वर- निर्धारित चुनौती या मिटाने के लिए बुरे कर्म ( प्रतिफल )। यदि हम कुछ खो देते हैं, हम कुछ और हासिल करते हैं। यह हमेशा समान है। सब कुछ घटित होता है किसी कारण के लिए। हर कोर्इ आपको वह बताएगा। तो बस नहीं इतना आसानी या सुविधा से बस प्रार्थना करो किसी छोटी बात के लिए ज्सिकी आप कर सकते हैं स्वयं देखभाल। यदि आप बीमार हैं, प्रार्थना मत करो गुरू जी को आपको चंगा करने के लिए। जब तक एक चिकित्सक के पास जाओ। कि एक निराशाजनक स्थिति में कि आप कुछ नही कर सकते, फिर बेशक, शायद आप कर सकते।

लेकिन मैंने आपको बताया था पांच नियमों के पालन के लिए, फरिशते आपकी रक्षा करते हैं। और ध्यान रहें जो आप खाते हैं वह शुद्ध और स्वच्छ है। सुनिश्चित करें आप पर्याप्त ध्यान करते हैं। फिर हर स्थिति बदल जाएगी एक बहुत हल्की स्थिति में। बड़ी मुसीबतें बनेगी छोटी परेशानियां। छोटी मुसीबतें बनेगी कुछ नहीं। और यह सामान्य है यदि आप पालन करते हैं पांच नियमों का, खाते शुद्ध विगन भोजन, और अच्छी तरह साधना करते हैं। ठीक ? (जी।) कभी कभी, अगर हम अच्छा ध्यान नहीं करते या हम नहीं रखते अच्छी तरह से पाँच नियम, यहाँतक कि एक छोटा सा अंश, हर चीज़ के लिए जिम्मेदार है स्वर्ग में। शायद मैं वहाँ नहीं हूं, शायद कोर्इ नहीं देखता, लेकिन स्वर्ग सब कुछ जानता है। तो मत सोचो आप धोखा दे सकते हैं। और अगर आप इसे नहीं करते, तो कभी कभी परिणाम खराब हो जाते हैं बजाय उसके जैसे यह होना चाहिए। क्योकि माया, नकारात्मक बल, इस दुनिया में जहाँ हम रहते हैं, मांगता है सब निष्पक्ष और न्यायी उपचार हर प्राणी के लिए इस ग्रह पर। तो, हम कर सकते हैं सब कुछ जो हम चाहते हैं, लेकिन हमें इसका भुगतान करना होगा।

और अब, मान लीजिए हम पहले से ही सब कुछ करते हैं, हम अच्छा ध्यान करते हैं, और फिर अभी भी कुछ हमारे साथ होता है। तो इसे होने दो। यह भुगतान है बुरे कर्म का (प्रतिफल) पूर्व जन्मों से ताकि हम मुक्त हो सकें। सिर्फ एक छोटा नन्हा सा भी, हमें भुगतान करना है, ताकि हम शुद्ध बन सकें और उपर जाएं। कभी कभी हमें थोड़ी सी समस्या होती है, या कुछ चीज़ हमे परेशान करती है, लेकिन तब हम जाते हैं एक उच्च स्तर पर।

तो नहीं बदलो अपने आध्यात्मिक अंक बस थोडी सुविधा के लिए इस दुनिया में। यह बहुत कीमती है आपकी सांस, आपका जीवन, आपके दिन, आपके साल यहाँ पृथ्वी पर। इसे इस्तमाल करो ताकि जब आप उपर जाएं, आप मुस्कराएं। “ओह, मैंने अपना सर्वश्रेष्ठ किया है अपने आध्यात्मिक अभ्यास के लिए। मैं हूं जहाँ मैं हूं क्योंकि मैनें इसे अर्जित किया है।” और सिर्फ चिपको नहीं इस सब छोटे प्रलोभन के साथ इस दुनिया में और एक छोटा सा आराम इस दुनिया में, और उपेक्षा करते आध्यात्मिक मौका उच्च स्तर तक जाने के लिए। गुरू जी की शक्ति आपको आर्शीवाद दे सकती है, लेकिन यदि आप सिर्फ यह इस्तेमाल करते हैं किसी भी अन्य चीज़ के लिए, (यदि) सत्ता का दुरूपयोग करते हो सिर्फ एक छोटे से सांसारिक लाभ के लिए या थोड़ी खुशी, तो आप इसे खो देते है। और फिर आपके मरने के बाद, आप बस बैठते हो कहीं शायद तारकीय में या दूसरे स्तर में या तीसरा स्तर, अन्य सभी शिष्यों को देखते उड़ान भरते। तो आपको खेद महसूस होगा कि आपको नहीं करना चाहिए था इतना इस दुनिया से चिपके रहना।

जब आप मेरे पास आए थे दीक्षा के लिए, आप भगवान के लिए आए थे, नहीं ? आप आए थे उच्चतम संभव स्तर के लिए आध्यात्मिक मुक्ति के, नहीं ? या क्या आप आए थे अपनी बेटी के लिए, अपने बेटे को परीक्षा में पास करवाने के लिए, अपनी बेटी के लिए पाने के लिए एक सुंदर पति भले ही वह बहुत बदसूरत है, कोर्इ देखना भी नहीं चाहता है ? यदि आप आए उन सांसारिक प्रयोजनों के लिए, मैं माफी चाहती हूं, अवधारणा गलत है। आपको इसे बदलना होगा।

यदि कोर्इ भाग जाता है आप से, आप जांच करें स्वयं में क्या गलत है। यदि कुछ भी गलत नहीं है स्वयं के साथ र्इमानदारी से, फिर ठीक है, शायद वक्त आ गया है। कर्म (प्रतिफल) मिट गए हैं, तो आप दोनों कर सकते हैं शांति से एक दूसरे को छोड़ना। तो खुश रहो, अधिक समय बचाओ ध्यान के लिए।

किसी चीज़ के साथ आसक्त नहीं हो जो अब और अधिक आपकी नहीं है। आपका कभी था ही नहीं, कुछ इस ग्रह पर। कुछ भी नहीं। क्या आप कुछ लाए हो इस दुनिया में? (नहीं।) अच्छा। फिर आप क्यों चाहते हो कुछ भी? यहाँ तक कि अगर आप पैदा करेंगे एक बेटी या एक बेटा इस दुनिया में, आपने खुद वसा खार्इ है, पहले बीस साल, अपने जन्म देने से पहले एक बेटी को। उदाहरणार्थ। और फिर, कितने लोगों को पड़ा था भागना आपके लिए ? डाक्टर, नर्स, मेडिकल स्टाफ, दवा, समय। जगना रात के बीच में बच्चे का जन्म देने, आपको आराम, और आपकी जांच के लिए आपके जन्म देने के बाद, और फिर जांच बच्चे के बाहर आने के बाद, जांच जब बच्चा बड़ा हो रहा है। कितने लोग पहले आपके लिए काम करते हैं? तो, क्या कुछ है जो वास्तव में आपका है ? आप पर है इन सभी लोगों का ऋण। और सरकार भी। और सभी लोग जो आपके साथ कर का भुगतान करते हैं। या शायद आपने नहीं किया कर का भुगतान भी, लेकिन आपने अस्पताल का इस्तेमाल किया, आपने डाक्टर की सेवा का इस्तेमाल किया, आपने नि:शुल्क दवा का इस्तेमाल किया, सबकुछ। क्या आपने कभी नहीं सोचा इसके बारे में? और आपको लगता है कि आप लाए कुछ इस दुनिया में कि आप हकदार हो पकड़ने को, सोचने को कि आपका है और फिर इसे हमेशा के लिए रखना ? नहीं ! विशेष रूप से यदि आप हैं प्रबुद्ध हालांकि सिर्फ बस थोड़े से प्रबुद्ध, अनुसार अपने कर्में के (प्रतिफल)। आपको जानना होगा कि हमारा कुछ भी नहीं है इस ग्रह पर। हम बहुत ऋणी हैं।

तो चीज़े करने की कोशिश करो अधिक परोपकारी, दुनिया के लिए अधिक आभारी, आपके आसपास लोगों के लिए, दीक्षित या गैरदीक्षित। उनके बिना, आप जीवित नहीं रह सकते। किसान के बिना, आपके पास खाने के लिए कुछ भी नहीं है। यहाँतक कि बिना कचरा साफ करने वाले के, आपके घर में गंदगी होगी और आप बीमार हो जाएंगे। कचरा साफ करने वाला, उनका काम है अधिक खतरनाक कर्इ अन्य नौकरियों की तुलना में। एक सबसे खतरनाक नौकरियां में से भले ही यह कुछ भी नहीं दिखती है। यह ना केवल गंदी है, यह खतरनाक है। कभी कभी चीज़ों में विस्फोट होता है। उन्हें यह भी नहीं पता होता कि क्या वे छूते हैं। शोध का मानना है कि उनका है पांच गुणा - या अधिक, कर्इ गुणा- अधिक खतरनाक काम पुलिस की तुलना में और अग्निशमन से भी। और वहाँ किसान भी है, लेकिन वहाँ है सुपरबाज़ार, वहाँ लोग है जो आपके लिए चीज़ें बेचते हैं, दवाखाना, सभी प्रकार के लोग जिनके हम बड़ी मात्रा में ऋणी हैं ऋण के जीने के लिए। तो यहाँ तक कि थोड़ा ध्यान भी पर्याप्त नहीं है उनकी दयालुता चुकाने के लिए। पर्याप्त सांझा करने के लिए भी नहीं है योग्यता सबके साथ।

मत सोचो कि आप कुछ हैं। सिर्फ क्योंकि आप है क्वान यिन साधक और आप करते है थोड़ा दान यहाँ और वहां... मेरे निर्देश के अनुसार। और फिर आपको लगता है कि आप कुछ हैं। हमेशा सोचो आप कुछ नहीं है। ठीक ? कहीं भी रहो, कुछ भी करो। हमें अधिक ध्यान करना होगा और एक तरह से, अधिक ज्यादा जांचना स्वयं को। हमेशा दूर दूर नहीं रहो कठिनार्इ और कड़ी मेहनत से या कठिन परिस्थितियां। सिर्फ क्योंकि वातानुकूलक बहुत ठण्डा है और आप रहते हैं बहुत लोगों के साथ एक कमरा सांझा करके। आप बस अधिक कपड़े पहनो। या बाहर जाएं, बाहर सो जाएं। कोर्इ वातानुकूलक नहीं है। मुझे भी वातानुकूलक पसंद नहीं है, मुझे कहना होगा मैं समझती हूं। मैं बहुत अच्छी तरह से समझती हूं। लेकिन फिर घर पर, मुझे कमरा विभाजित करना पड़ता है। यहाँ तक कि मेरी गुफा मैं दो में विभाजित करती हूं। बाहर आधा कुत्तों के लिए है, उनके पास वातानुकूलक है। अन्दर आधा, कोर्इ वातानुकूलक नहीं। मैं बीच में एक पर्दा डाल देती हूं। और अगर मुझे बाहर जाना पड़ता है उनके साथ, मैं तुरंत पहले वातानुकूलक बंद करती हूं चीज़े जांच करने के लिए, और फिर मैं वातानुकूलक चलाती हूं दोबारा उनके लिए। क्योंकि यदि वातानुकूलक बहुत अचानक ठण्डा हो जाता है, मैं भी सहन नहीं कर सकती। मैं यह समझती हूं। लेकिन यह आसान है इस का ध्यान रखना। नहीं ?

हमें खुद को ढालना चाहिए स्थितियों के अनुसार, त्वरित प्रतिक्रिया। यदि ठण्ड हो, अधिक कपड़े पहनो या... मैं आपको सबकुछ सिखाती हूं। आप एक बोतल भी ले सकते है, गर्म पानी भरें और इसे सटा लें, और यह गर्म है। मैं ऐसा करती हूं। और वातानुकूलक, आप कर सकते हैं उपर की ओर ताकि यह आप पर सीधे नहीं जाए। और इसे बनाओ एक सहनीय डिग्री।

मेरा मतलब, ठीक, मेरा मतलब यह नहीं कि आप बुरे लोग हैं। आप शाकाहारी हैं, आप ध्यान करते हैं। मेरा मतलब आपसे नहीं, हूं? मेरा मतलब, कोर्इ जो दीक्षित बन गया एक अच्छा व्यक्ति है। यह निश्चित रूप से सच है। लेकिन आपको जाना होगा एक कदम और आगे। आपको सिर्फ अच्छा होना नहीं, आपको अच्छा करना है और और दूसरों का ध्यान रखना ताकि वे भी अच्छे हो जाएं। ना सिर्फ वहाँ बैठ कर इंतज़ार करना, हमेशा प्रार्थना गुरू जी के आर्शीवाद के लिए, या अगर यह सहज नहीं है, आप छोड़ दें। यह प्यार नहीं है। और फिर भी... बेशक, मैं कोशिश करती हूं आप सभी का ख्याल रखने की, लेकिन आपका कर्तव्य भी है अपनी देखभाल करने का, नहीं ? आप सभी।

हमेशा नहीं करो प्रार्थना गुरू शक्ति से यह और वह आपके लिए करने के लिए। यह सत्ता के प्रति अपमानजनक है, जब आपको ज़रूरत नहीं। आपातकाल, हां। ठीक ? जब आप नहीं कर सकते कुछ और, ठीक। लेकिन अगर आप कर सकते हैं, पहले अपने दिमाग का उपयोग करो। अपनी बुद्धि का प्रयोग करो, बौद्धिक स्तर को प्रशिक्षित करो अधिक समझदार होने के लिए, अधिक त्वरित प्रतिक्रिया के लिए सभी परिस्थितियों के साथ जो उठती है। अगर किसी दिन आपको किसी की मदद करनी पड़े। यह हम सब के बारे में नहीं है। यह है सबके लिए जो हमारे पास हैं और हर किसी के लिए जो हमारे पास नहीं है।

आपको प्रशिक्षित करने के लिए है पहले अच्छा और सक्षम, ताकि शायद एक दिन हम किसी और की मदद कर सकें। हमेशा वहाँ बैठे नहीं रहो जैसे एक बच्चा मां के लिए इंतज़ार करता है। भले ही आप खराब हो गए है, आपको तैयार करना होगा खुद को उन्नत के लिए एक बहुत, बहुत श्रेष्ठ अस्तित्व में। निज-परित्यागी जीव। लेकिन मैं आपसे नहीं पूछती कुछ भी प्रचंड करने के लिए। निज-परित्यागी के बारे में बात एक हास्यास्पद चीज़ है। यह शब्द के लिए भी कमज़ोर है। मेरा मतलब आपको भी करना होगा प्रयास स्थिति को समायोजित करने के लिए। इसकी बजाए दूसरों की मदद करने का प्रयास करो।
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