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बौद्ध कहानियाँ: इच्छा पूरी करने वाले रत्न, दस भाग शृंखला का भाग ४ Aug. 13, 2015

विवरण
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तब से, जब उन्होंने वह सब देखा, उन्होंने देखा ही कोई इतना अनभिज्ञ है आऊर इतना भयानक कर्म कर rअहा है, वह बहुत दुखी हो गए। तब से वे कभी नहीं मुस्कुराए। और फिर वे सोच रहे थे सभी जीवों की मदद कैसे करें ताकि उनके पास सबकुछ हो, ना केवक भौतिक संतुष्टि बल्कि आध्यात्मिक रूप से और मानसिक रूप से भी और सब कुछ।
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