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विश्व भ्रम के सिवाय कुछ नहीं है, चार का भाग १

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जब हमारे पास मस्तिष्क होता है, हमारे पास अहम होता है। "आह, मैं यह कर सकता हूँ।" "मैं इस तरह हूँ।" "मैं उस तरह हूँ।" यह भी समस्यायें लाता है। कुछ लोग अधिक नहीं कर पाते, तो, उन्हें हीं भाव विकसित हो जाता है और स्वयं को दोष देते हैं। यह सब मस्तिष्क से आता है। यह हम नहीं हैं।
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